महावीर गौशाला के दो प्रमुख हिस्से हैं: जालेड़ा और मामोनी। इन दोनों हिस्सों में गायों की देखभाल, उनकी सुरक्षा, और उनके पोषण की पूरी व्यवस्था की जाती है, जिससे वे स्वस्थ और खुशहाल जीवन जी सकें।

जालेड़ा गौशाला में गायों के लिए व्यापक व्यवस्था की गई है। यहाँ पर गायों को सुरक्षित आश्रय, ताजे चारे और पानी की पर्याप्त आपूर्ति की जाती है। इस गौशाला में करीब 1200 गौवंश रहते हैं और उनके लिए सभी आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएँ जैसे चिकित्सा देखभाल, टीकाकरण और नियमित स्वास्थ्य जांच प्रदान की जाती हैं। इसके अलावा, जालेड़ा गौशाला के परिसर में गायों के लिए विशेष रूप से चराई की व्यवस्था की गई है, जिससे वे प्राकृतिक रूप से अपना आहार प्राप्त कर सकें।

मामोनी गौशाला में लगभग ढाई हजार गौवंशों को सुरक्षित और स्नेहपूर्ण वातावरण में आश्रय दिया जाता है। यहाँ पर गायों के लिए हर प्रकार की सुविधाएँ उपलब्ध हैं, जैसे कि समय पर चारा, पानी और चिकित्सा सेवाएँ। मामोनी गौशाला में विशेष ध्यान दिया जाता है कि गायों की नस्ल सुधारने के लिए नियमित कार्यक्रम आयोजित किए जाएं, जिससे वे प्रजनन योग्य और स्वस्थ रहें। यहाँ पर गायों को आरामदायक शेड्स और पर्याप्त स्थान प्रदान किया जाता है, जहाँ वे शांति से रह सकती हैं और उनके स्वास्थ्य का सही तरीके से ध्यान रखा जाता है।

महावीर गौशाला का मुख्य उद्देश्य गायों के संरक्षण और उनके भले के लिए कार्य करना है। इन गौशालाओं में सभी सेवक और स्वयंसेवक पूरी निष्ठा से काम करते हैं, ताकि गायों को एक स्वस्थ और सुरक्षित जीवन मिल सके। इसके साथ ही, इन गौशालाओं में हम समाज में गौसंरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने का प्रयास करते हैं। हमारा उद्देश्य है कि अधिक से अधिक लोग गौसेवा में सक्रिय रूप से भाग लें और गौमाता के प्रति अपने कर्तव्यों को समझें।

महावीर गौशाला न केवल एक आश्रय स्थल है, बल्कि यह गौसंरक्षण, सामाजिक सेवा और जागरूकता फैलाने का महत्वपूर्ण केंद्र भी है। हम सभी से निवेदन करते हैं कि आप भी हमारे इस प्रयास में जुड़ें और गौमाता की सेवा में अपना योगदान दें।

श्री महावीर कल्याण संस्थान: गौसेवा की विस्तार यात्रा

सेवा, संरक्षण और संवर्धन

में लगभग 1200 से अधिक नीट मवेशी हैं। इनमें से अधिकांश अनाथ और असहाय स्थिति में सड़क पर पाए गए और संस्थानों द्वारा सुरक्षित रखे गए। स्वीकार करें कि बड़ी संख्या में साफ-सुथरे मवेशियों को पहले से ही इकाइयों में रखा जा रहा है, जो गैर-वर्णनात्मक हैं। आइए, हम सब मिलकर तीन इकाइयों में रहने वाले उन सभी असहाय साफ-सुथरे मवेशियों के लिए हर संभव वित्तीय माध्यम से इस संस्था की मदद करने के लिए एक कदम आगे बढ़ाएं। आप चाहें तो तीनों इकाइयों में से किसी एक को पूरे साल का दान दे सकते हैं। इसके अलावा यदि आप सभी कार्यों पर होने वाले वार्षिक व्यय में 75 प्रतिशत धनराशि शामिल करते हैं तो निश्चित रूप से आपका नाम हमारी संस्था में आपकी इच्छानुसार लिखा जाएगा।


संस्थान ने गौसेवा के इस प्रयास को और अधिक विस्तारित करने के उद्देश्य से वर्ष 2013 में शाहबाद क्षेत्र के मामोनी उपरेटी ग्राम में एक और विशाल गौशाला का संचालन प्रारंभ किया। इस गौशाला में गौवंश के संरक्षण और संवर्धन के लिए सभी आवश्यक सुविधाएं प्रदान की गई हैं, और यहां लगभग ढाई हजार गौवंशों को सुरक्षित आश्रय दिया जा रहा है।

श्री महावीर कल्याण संस्थान ने गौसंरक्षण के अपने इस पुण्य कार्य की शुरुआत वर्ष 2003 में बारां जिले के जालेड़ा ग्राम में पहली गौशाला की स्थापना के साथ की। इस गौशाला की स्थापना का उद्देश्य बेसहारा गौवंश को सुरक्षित आश्रय और संवर्धन प्रदान करना था। यहां गौवंश के स्वास्थ्य, सुरक्षा और आहार की समुचित व्यवस्था का प्रबंध किया गया है, जिससे इनका संरक्षण सर्वोत्तम तरीके से किया जा सके। गौशाला में हर गौवंश की सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए समर्पित सेवाकर्मी हैं जो इनके आहार और जल की समय से व्यवस्था सुनिश्चित करते हैं। यह सुनिश्चित किया गया है कि सभी गौवंशों को उचित मात्रा में चारा, पानी, और चिकित्सा सेवाएं समय पर उपलब्ध हों ताकि इनका जीवन स्वस्थ और सुरक्षित बना रहे।

शाहबाद के मामोनी उपरेटी ग्राम में नई गौशाला

Gallery

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“ गौ माता की सेवा और संरक्षण पर विशेष ध्यान देती है। विभिन्न गौशालाओं की जानकारी, उनके कार्यों और सेवाओं के बारे में विस्तृत जानकारी उपलब्ध है। यहां पर समाज के लोगों को गौ संरक्षण के प्रति जागरूक करने के लिए शैक्षणिक सामग्री भी प्रदान की जाती है। इसके अलावा दान करने के विकल्प, स्वयंसेवी कार्यक्रमों और गौ सेवा के विभिन्न पहलुओं के बारे में जानकारी उपलब्ध है। यूजर इंटरफेस सरल और उपयोग में आसान है, जिससे लोग आसानी से जानकारी हासिल कर सकते हैं। कुल मिलाकर गौ संरक्षण के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।”

– राधा तिवारी