About us
प्रिय गाय भक्तों,
मैं आपको सूचित करना चाहता हूँ कि जब भगवान महावीर स्वामी का 2600वां जन्मदिन समारोह वर्ष 2001 में मनाया जा रहा था, तब 05 अक्टूबर 2001 को श्री महावीर गौशाला कल्याण संस्थान की स्थापना की गई। इसका कार्य पशु प्रेमी एवं जैन शासन-रत्न श्री कुमर्पाल भाई व. शाह, कालिकुंड-ढोलका, अहमदाबाद (गुजरात) से मिली प्रेरणा और श्रीमद्भागवत कथा प्रवक्ता मालवा संत श्री कमलकिशोर जी नगर, सेमली आश्रम, शाहजहाँपुर (म.प्र.) के मार्गदर्शन में शुरू किया गया। सबसे पहले, इस संस्थान ने 50 साल पुरानी जलैदा गौशाला की जिम्मेदारी अपने हाथ में ली, जो कि पार्वती नदी के किनारे स्थित है।
हमारी सेवाएँ
हमारी दो गौशालाएं, मामोनी और जलेदा, हम गायों की भलाई और देखभाल के लिए समर्पित हैं। प्रत्येक गौशाला हमारे पशुओं के स्वास्थ्य और आराम को प्राथमिकता देते हुए एक अद्वितीय दृष्टिकोण के साथ संचालित होती है। मामोनी एक पोषण वातावरण प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करती है जहां गायें स्वतंत्र रूप से घूम सकें और ताजा चरागाहों तक पहुंच सकें, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि उन्हें उचित पोषण मिले। इसके विपरीत, जलेदा हमारे समुदाय में गाय कल्याण के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने, शैक्षिक पहुंच पर जोर देती है। साथ में, दोनों स्थान मनुष्यों और गायों के बीच सामंजस्यपूर्ण संबंध को बढ़ावा देने में योगदान करते हैं, जो टिकाऊ कृषि पद्धतियों और जानवरों की देखभाल के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है। हम आगंतुकों को हमारी गौशालाओं की शांति का अनुभव करने और इन कोमल प्राणियों के प्रति हमारे प्यार और ध्यान को प्रत्यक्ष रूप से देखने के लिए आमंत्रित करते हैं।
गौशाला के बारे में
नीचे सूचीबद्ध श्रेणियों का संक्षिप्त विवरण।
आश्रय स्थल
आश्रय स्थल के रूप में, महावीर गौशाला का उद्देश्य केवल गायों को आश्रय देना नहीं है, बल्कि उन्हें एक ऐसा वातावरण प्रदान करना है जहाँ वे स्वतंत्र रूप से चर सकें, प्राकृतिक आहार प्राप्त कर सकें और उनका जीवन आरामदायक हो। यहाँ पर हर गौवंश को व्यक्तिगत देखभाल, समय पर चिकित्सा सेवा और उचित पोषण मिलता है।
चारा गृह
चारा गृह महावीर गौशाला का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जहाँ गायों को पौष्टिक और ताजे चारे की आपूर्ति की जाती है। चारा गृह का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि गायों को भरपूर आहार मिले, जिससे उनका शारीरिक स्वास्थ्य उत्तम बना रहे। यहाँ पर गायों के लिए हरे चारे, सूखे चारे और अन्य पोषण तत्वों का सही मिश्रण उपलब्ध कराया जाता है, ताकि उनका विकास और प्रजनन क्षमता मजबूत रहे।
विचरण भूमि
गौशाला का विशाल परिसर गायों के लिए खुला है, जिससे वे पूरे परिसर में स्वतंत्रता से घूमा-फिरा सकती हैं और अपनी आवश्यकताएँ पूरी कर सकती हैं। साथ ही, यहाँ पर गौवंशों के लिए शेड्स और सुरक्षित स्थान बनाए गए हैं, ताकि वे बाहरी मौसम से बच सकें और आराम से रह सकें
हमारी गौशाला
श्री महावीर कल्याण संस्थान का उद्देश्य गौसेवा, गौसंरक्षण और गौसंवर्धन को समाज में बढ़ावा देना है। हम अपने प्रयासों से बेसहारा और जरूरतमंद गौवंश को सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण प्रदान करते हैं और भारतीय संस्कृति के इस अभिन्न अंग को संजोए रखने का कार्य करते हैं। हमारा प्रयास है कि प्रत्येक गौवंश को सम्मान, सुरक्षा, और स्नेहपूर्ण वातावरण में जीवन बिताने का अवसर मिले।
हमारा उद्देश्य (Mission)
हम गौवंश के संरक्षण, संवर्धन और देखभाल में समर्पित हैं। हमारा उद्देश्य न केवल गौमाता का संरक्षण करना है बल्कि ग्रामीण समुदायों में पर्यावरण संतुलन बनाए रखना, जैव विविधता को बढ़ावा देना, और पारंपरिक कृषि को समर्थन देकर आत्मनिर्भरता और समृद्धि को प्रोत्साहित करना है।
हमारा दृष्टिकोण (Vision)
हमारा सपना है कि एक ऐसा समाज बने जहाँ हर गाय को सम्मान और देखभाल मिले, जहाँ गौशालाओं में आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हों, और जहाँ गौसंरक्षण के प्रति हर व्यक्ति जागरूक हो। हम ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यावरण संतुलन और पारंपरिक कृषि को संरक्षित करते हुए एक सशक्त समाज की कल्पना करते हैं।
हमारी यात्रा
2003: बारां जिले के जालेड़ा ग्राम में प्रथम गौशाला की स्थापना कर गौसेवा की शुरुआत। यहाँ गौवंश की देखभाल के लिए सुरक्षित आश्रय, आहार, पानी और चिकित्सा सुविधाओं का प्रबंध किया गया।
2013: शाहबाद के मामोनी उपरेटी ग्राम में दूसरी गौशाला का विस्तार। इस विशाल गौशाला में लगभग ढाई हजार गौवंश का संरक्षण और संवर्धन किया जा रहा है।
समर्पण: हर गौवंश की सुरक्षा और सेवा के प्रति अटूट निष्ठा।
सहयोग: समाज के योगदान से हमारा यह कार्य निरंतर चलता रहे।
जागरूकता: गौसंरक्षण के प्रति समाज में जागरूकता फैलाना।
संवेदनशीलता: प्रत्येक जीव के प्रति संवेदनशीलता और सेवा भावना
गौ भक्त
गौ भक्तो के द्वारा दिए जाने वाली टिप्पणी
भारत में गौशालाएँ सामाजिक और धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण संस्थाएँ हैं। यहाँ गायों को संरक्षण दिया जाता है और उनका सही देखभाल किया जाता है। इनमें अधिकांश गौशालाएँ गो माता के प्रति श्रद्धा और प्रेम का प्रतीक मानी जाती हैं। कई लोग गौशालाओं में गोबर और दूध का उपयोग करते हुए विभिन्न उत्पादों का निर्माण करते हैं, जिससे न केवल आर्थिक स्थिरता मिलती है, बल्कि किसानों और ग्रामीणों को भी लाभ होता है। इसके अलावा, गौशालाएँ शिक्षा और जागरूकता फैलाने का कार्य भी करती हैं, जैसे कि गौ रक्षा और पर्यावरण संरक्षण के महत्व को समझाना। ऐसी कई गौशालाएँ देशभर में अस्तित्व में हैं, जहाँ पर लोग स्वैच्छिक सेवाएँ भी देते हैं, जिससे गौ माता के प्रति मानवता का भाव प्रकट होता है। कुल मिलाकर, गौशालाएँ सकारात्मक सामाजिक परिवर्तनों का स्रोत बन रही हैं।
Suraj mishra
भारत में गौशालाएँ धार्मिक और सामाजिक सेवा का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन गई हैं। यहाँ पर गोधूलि वेला में गायों की भव्यता और पवित्रता का अनुभव करना अद्वितीय होता है। गौशालाओं में न सिर्फ गायों का पालन-पोषण किया जाता है, बल्कि इनके प्रति लोगों की जागरूकता भी बढ़ाई जाती है। कई गौशालाएँ गौ-श्रम, गो-आहार, और गो-पालन की पारंपरिक विधियों का पालन करती हैं, जो पर्यावरण के लिए लाभकारी हैं। यहाँ पर श्रद्धालु गायों की सेवा करके पुण्य अर्जित करते हैं और इन्हें प्यार देकर असीम सुख पाते हैं। हालांकि, कुछ गौशालाओं की देखभाल में कमी भी पाई जाती है, जिसके कारण उन पर सवाल उठाए जाते हैं। कुल मिलाकर, गौशालाएँ भारत की संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं और इनका निरंतर सुधार आवश्यक है।
Rakesh kumar
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गायों की देखभाल
गायों की देखभाल एक महत्वपूर्ण कार्य है जो न केवल पशु कल्याण की दृष्टि से आवश्यक है, बल्कि कृषि और आर्थिक विकास के लिए भी आवश्यक है।